"कैसे भूल जाऊँ"

"कैसे भूल जाऊँ" उन सर्द हवाओं का कहर भूल जाऊँ! मैं कैसे, वो तपती दोपहर भूल जाऊँ! एक तेरी वजह से कायम हैं, मेरी साँसे, मैं कैसे दुआओं का असर भूल जाऊँ! सरे राह तप कर यहां तक पहुँच पाया, मैं कैसे, बताओ ये सफ़र भूल जाऊँ! मेरी कमजोरी पे रोज रोज हँसने वाला, मैं कैसे वो मील का पत्थर भूल जाऊँ! हर एक आह मुझको,मजबूत करती गई, मैं कैसे वमुश्किल् सीखा सबऱ भूल जाऊँ! कितनी देर से चेहरे पहचानना सीखा हूँ , मैं कैसे "अंकुर" कीमती हुनर भूल जाऊँ! _सदैव से आपका_ आर्यण ठाकुर (अंकुर सिंह राठौड़) To know more about "Ankur singh Rathod" Must login to facebook.com/ankurthakur21