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अश्क़ों की धार बहती है.. दर्द मैं सह नहीं पाता! बहुत कुछ कहना है तुमसे, मग़र मैं कह नहीं पाता!

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अश्क़ों की धार बहती है..                      दर्द मैं सह नहीं पाता! बहुत कुछ कहना है तुमसे,                     मग़र मैं कह नहीं पाता! मुसल्सल फासलों के फ़ैसले..                      इस कदर रुलाने लगे। न जाने कितने नए-पुराने                      ख़्वाब याद..आने लगे। मेरा घमण्ड झूठा था,                    जो तुझको छोड़ के आया। मैं यकीनन हाल कहूँ अपना..                     तुझ बिन रह नहीं पाता! अश्क़ों की धार बहती है..                      दर्द मैं सह नहीं पाता! बहुत कुछ कहना है तुमसे,                     मग़र मैं कह नहीं पाता! निगा...