Posts

Showing posts from December, 2016

फिरता हूँ.. दर दर!

Image
तेरी छत से,               गुजरूँगा.. मैं! उन टूटे तारों.. सा। तेरी याद में, फूट फूट के बिखरे.. उन चौबारों...सा। सुकून तो शायद.. मिलता होगा,        'दर्द- चुभन' को                  मेरी गोद में आकर! बैचेनी और पगलापन..              सँजो लिया मैंने उनके रखवारों... सा। तू उजले शीशे की... रौशन महफ़िल,        हाल मेरा              धुंधले आरों..सा। हालत अपनी क्या समझाऊँ... अब फिरता हूँ..               'दर-दर', टीस के मारों...सा।              -सदैव से आपका-                "आर्यण ठाकुर"             (अंकुर सिंह राठौड़) Official Facebook address  Facebook.com/ankurthakur21