Posts

Showing posts from February, 2017

माँ भारती क़ा वीर पुत्र "चन्द्र शेखर आज़ाद"

Image
कैसा उन्माद उठा, उसके भीतर, आजाद-भारत-स्वप्न चिंतन में, वो मौत से भी लड़ गया। "आजाद" था               'आजाद' वो "आजाद-हमको" कर गया।  उस सोच से 'क़ि हम कमजोर हैं', क़ि हम सक्षम नहीं हैं"। ऐसा सोचना व्यर्थ है, ये उसने समझाया। अकेला था, 'जी-भरकर' लड़ा... बदन पर हजारों जख्म खाए, वतन की खातिर जीने की इच्छा, उसके जख्म दबा न पाए। मातृभूमि की रज समेटी आखिर अपनी बाँहो में, चेहरे पे मली, मस्तक पर लगाई, कुछ ओढ़ी "माँ का आँचल" समझ, कुछ मातृभू के प्रेम में हवा में उड़ाई। फिर आखिरी 'जयघोष' किया, अपनी बन्दूक उठाई। बची आखिरी गोली डाली, अपनी मिटटी से गुहार लगाई। हे माँ, मुझे आश्रय देना, मैं तेरी शरण में आता हूँ। माफ़ करना माँ मुझे अब मैं अपना अंतिम वचन निभाता हूँ। बेड़ियों में जकड़ी माँ का दर्शन मैं "पाप" समझता हूँ। ऐसी हालत में रहकर के जीना अभिशाप समझता हूँ। "आज़ाद को कोई चाह नहीं.. क़ि अब ये जीवनदान मिले।" "मातृ भारती पुण्य वत्सला.. मुझे अभय का दान मिले।" जिस "रज...

"पत्थरबाजी"

Image
विरोध को ठहरे परवानों को सीधे सीधे समझा दो। सेना पे आँख उठाने का मतलब इनको समझा दो। इनको सब कुछ समझ आएगा, अब इनकी ही भाषा में.. विश्वामित्र समझ न आएं, इन्हें प्रेम दिखे दुर्वासा में..! कान खोल कर सुनो सभी, अब... मैं तुम्हे चेताता हूँ। जिस भाषा को सीखा तुमने, उसमें तुम्हें बताता हूँ। औकात तुम्हारी है इतनी, जो सेना से टकराओगे। अगर जरा भी आँख नटेरीं.. बेभाव जूते खाओगे। उन आकाओं से जाकर कह दो, जो लेकर आड़ तुम्हारी बैठे हैं। सिर्फ चार सिक्के दिखला कर, मति को फाड़ तुम्हारी बैठे हैं। दो चार सियासी गद्दारों की दम पर, इतना फूलो मत। पाक तुम्हारा बाप नहीं है, उसकी दम पर ऊलो मत। बिसात तुम्हारी है ही क्या.. वैसे भी टुकड़ों पर पलते हो। जिसका दूध पिए जीते हो.. उस माँ को ही छलते हो। तुमसे तो अच्छे गली के कुत्ते.. घर घर बेशक जाते हैं। जिस घर की रोटी खाते हैं.. उसका नमक चुकाते हैं। खुलेआम आबरू बेच रहे हो, तुमको शर्म नहीं आती है? बिना लट्ठ खाए तुमको, बोलो नींद नहीं आ पाती है? 'अंकुर' तुमको समझाता है, न जाने क्या क्या हो जाए..! कई पुश्तें गंजी पैदा होगी.. ग़र सेना आप...