Posts

Showing posts from April, 2017

रंगती हो तो रंग जाए, माँ की चूनर बेटों के खून से! तुम को फर्क कहाँ पड़ना है... निन्दा करो जूनून से!

Image
रंगती हो तो रंग जाए, माँ की चूनर बेटों के खून से! तुम को फर्क कहाँ पड़ना है... निन्दा करो जूनून से! जब हथियार उठाकर भी सैनिक को  'लाते: खानी पड़ती हो, जहाँ "दाल" का हाल बताकर 'सजा' उठानी पड़ती हो। गद्दारों की टोली आकर नांक चिढ़ाकर जाए जब। रगों में कितना लहू खौलता कौन तुम्हें समझाए अब? आज तिरंगे में लिपटकर फिर से.. कुछ सैनिक आयेंगे! प्रशासनिक कायरता के.. किस्से वो "शव" सुनाएंगे। तुम वही पुरानी "निंदा" का भाषण मंच से बोलोगे.. अगर जो जनता जान उठी तो शायद थोड़ा "रो" लोगे। ये रोज रोज के पहले तुम चने चबाने बन्द करो। दहशत गर्दों  के बढ़कर आँसू पोंछ्वाने बन्द करो। पत्थर के बदले लाठी हो, गाली के बदले गाली हो। अब हाथ खुलवाओ सेना के, 'न' बात बैठ कर 'ख़ाली' हो। सारे सैनिक उठकर फिर.. ग़द्दारी की परतो को परिछेद करें। जो नक्सलियो का हमदर्द दिखे, हर उस छाती में छेद करें।              - सदैव से इस भूमि का ऋणी -                        'आर्यण ठाकुर'   ...