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इंसान नहीं है...

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"इंसान नहीं है.." रास्तों पे गुजरने का निशान नहीं है। लगता है "मंजिल" मेहरबान नहीं है। मैं भटक रहा हूँ दुनिया में शायद इसलिए.. मेरा, यहाँ, कोई निगहबान नहीं है। हर आदमी यहाँ किस्मत का मारा है। पूँछो तो कहता है, परेशान नहीं है। मेरी शान-ओ-शौकत में वो हमदम था मेरा, आज बेबसी में मिला, तो पहचान नहीं है। हजार दिक्कतों में भी एक आंसू नहीं गिरने दिया। अब लोग कहते हैं, "अंकुर" इंसान नहीं है।              -सदैव से आपका-                 आर्यण ठाकुर             (अंकुर सिंह राठौड़) To know more about..Author..must logon to www.Facebook.com/ankurthakur21

और.. वो "बूढ़ा-मास्साब" क्या देता?

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अपनी 'सनक़' का,  मैं, हिसाब् क्या देता ? तेरे सवाल ही गलत थे, ज़बाब क्या देता ? देख, तेरे लिए सारी रियासत 'सज़दा' करती है... इससे ज्यादा तुझको कोई नबाब् क्या देता ? महीनों से जिसके घर 'फ़ांके' पड़ रहे हों..दोस्त। वो लाकर के तोहफे में रेशमी जुर्राब क्या देता ? जो 'अगुआ' बन बैठा, वो तो खुद ही नशेड़ी है... बताओ वो तुमको सुधार कर पंजाब क्या देता ? "खुश रहना मेरे बेटे" कह कर, जिसने मन से दुआ दी। अपने "लाड़ले" को, और..वो "बूढ़ा-मास्साब" क्या देता? तेरी मन्नत पूरी करने मैं खुद ही चला आया हूँ,देख। इस प्यारी सी मुस्कान से ज्यादा लाज़बाब क्या देता ? इकलौता आदमी है जिसे बुलबुलों तक से नफरत है। फिर मँगवाकर "आर्यण" तुझे, सुर्खाब क्या देता ?                   -सदैव से आपका-                     "आर्यण ठाकुर"                  (अंकुर सिंह राठौड़)