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Showing posts from January, 2017

कब तक द्वन्द सम्हाला जाए, युद्ध कहाँ तक टाला जाए।

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कब तक द्वन्द सम्हाला जाए, युद्ध कहाँ तक टाला जाए । वंशज है महाराणा का.. चल फेंक जहाँ तक भाला जाए । अब मनोकामना पूरी कर दो,  रक्त चटाकर तलवारों को.. महारुद्र को शीश नवाकर, नव अश्वमेध कर डाला जाए। निरीहों को जीवन देना, परन्तु पृष्ठ-आघात अक्षम्य रहे। प्रखर समर के बीचोबीच.. ऐसा रणघोष बजा डाला जाए। समस्त धरा कुरुक्षेत्र बना, इतनी सामर्थ्य जुटा फिर से। असुरों का सर्वस्व् मिटा, ताकि कहीं..पुनः अधर्म न पाला जाए। हे पार्थ ! अब गाण्डीव उठा, लक्ष्य पे दृष्टि अड़ाकर रख। प्रथम ध्वनि संकेत मिले...और लक्ष्यभेद कर डाला जाए। "अंकुर" शौर्यगति पा जाए... अथवा परिणाम विजय माला आए। बस वीरों की पंक्ति सुशोभित हो.. इतना नाम कमा डाला जाए।                 -सदैव से आपका-                       " अंकुर " For More information- Open Google.com and search "Ankur Singh Rathod" Or you can get in touch with him on Facebook @ Facebook.com/ankurthakur21 https:...

कहीं.. इसके बाद, न मिलूँगा... तुझे! तेरे साथ मेरा, ये सफ़र आखिरी है।

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कहीं.. इसके बाद, न मिलूँगा... तुझे! तेरे साथ मेरा, ये सफ़र आखिरी है। कतरा.. न.. ऐसे, जरा तो ठहर जा! जो ठहरी है, तुझपे.. नज़र आख़िरी है। जो मेरी आँखों में.. बसते रहे, 'हौले - हौले' वो सब चूर होने लगे। हाँ.. टूटे ख्वाबों का! ये मंज़र आखिरी है। कहीं.. इसके बाद, न मिलूँगा... तुझे! तेरे साथ मेरा, ये सफ़र आखिरी है। तू ही मेरा मान है.. जिस्म है, जान है। आखिरी ख्वाहिश है.. पहला अरमान है। एक तेरे बगैर.. मैं कैसे कहूँ..? मेरी दुनिया कितनी वीरान है। कोई ठुकरा गया.. तो सब कुछ बिखरा है ऐसे, क़ि 'रूह पे बरसा' ये क़हर आख़िरी है। कहीं.. इसके बाद, न मिलूँगा... तुझे! तेरे साथ मेरा, ये सफ़र आखिरी है। बात, अलग होने की, वो जो तुमने कही! क्या बताऊँ भला.. क़ि 'कैसे सही'। हालत मेरी बड़ी अब नाजुक सी है, मन में गुबार सा, रूह परेशान है। नब्ज़ थमने लगी.. ये जिस्म बे-जान है। "आंसुओं का झरना"...अब न 'थामे' थमे, रह - रह के.. बह रही, ये नहर आख़िरी है। कहीं.. इसके बाद, न मिलूँगा... तुझे! तेरे साथ मेरा, ये सफ़र आखिरी है। था ...