अरसों से हमने अपनी मुस्कान नहीं देखी।


झंझावातों में सुकून की उड़ान नहीं देखी।
अरसों से हमने अपनी मुस्कान नहीं देखी।

देखने को तो सब कुछ मिल ही गया है लगभग
मग़र कोई निगाह हमने निगहबान नहीं देखी।

चोट सहनी ही पड़ेगी ग़र खुद को तराशना है ।
हमने तसल्ली से बनती कहीं पहचान नहीं देखी।

कंक्रीट और धुएँ के जंगल के गुण गाए जा रहे हो
शायद तुमने कच्चे मढ़े की दलान नहीं देखी।

पहले "सब" से "हम" हुये, अब "हम" से सिमटकर "मैं"
तमाम जरूरतों में दुनिया होती वीरान नहीं देखी?

शायद सब तकलीफों को बस इक ही पता अच्छा लगा!
दिक्कतें किसी को इतना करती परेशान नहीं देखी।

एक मोड़ ऐसा मिला..  जहाँ  तुम  मिल ही   गए!
उस पल से ज्यादा किस्मत मेहरबान नहीं देखी।

जो सुबह शाम बिना थके बच्चों की ख़ातिर अड़ी रहे
उस पिता से ज्यादा मजबूत कोई चट्टान नही देखी।

शुरुआत से आखिर तक हमसफ़र का साथ था।
इससे ज्यादा खूबसूरत उम्र की ढलान नही देखी।



मेरे चेहरे की चमक देखकर चौंक रहे हो..
तुमने आँखों में हो रही खींचतान नहीं देखी।

रब ने मेहर रखी तो अंकुर की कलम लिखती रही
उसने काफ़िये-रदीफ़ की कभी मिलान नहीं देखी।



               _सदैव से आपका_
                      "अंकुर"


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Comments

  1. अच्छा लिखा है...मेरा ब्लॉग भी देख सकते हैं...
    https://piktureplus.blogspot.in/

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  2. विनम्रता पूर्ण आभार व्यक्त करता हूँ।
    धन्यवाद

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  3. गुड मुस्कुरा लीजिये बन्धु सेहत के लिए जरूरी है|

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