इक तू ही नहीं है “क़िस्मत में”... "बाक़ी कमी कुछ भी नहीं ।
इक तू ही नहीं है “क़िस्मत में”...
“बाक़ी कमी” कुछ भी नहीं ।
तुझे ‘सोच-सोच’ के “सँवरा” हूँ,
जब ‘टूट-टूट’ के “बिखरा” हूँ !
इतना कुछ तेरे लिए “सहा”
कि अब.. इन आँखों की “नमीं” कुछ भी नहीं ।
इक तू ही नहीं है “क़िस्मत में”...
“बाक़ी कमी” कुछ भी नहीं ।
तेरी इबादत पे सारी दुनिया “वारी” है,
इस सारे ज़माने में मुझको.. केवल ‘तू’ प्यारी है।
तेरे लिए “लड़-भिड़” जाऊँ हर इक ‘शय’ से हर दफ़ा,
मेरे लिए इससे “बड़ी बंदगी” कुछ भी नहीं ।
इक तू ही नहीं है “क़िस्मत में”...
“बाक़ी कमी” कुछ भी नहीं ।
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तेरी ही “यादें” ... तू ही “सुकूँ”,
ख़्वाहिश मेरी... तेरा “बनूँ” !
हर ‘जतन’ करूँगा पाने को.. “आख़िर” मैं तुझको पाऊँगा,
जो तेरे बिना “रह-रह” कटे.. “वो ज़िन्दगी” कुछ भी नहीं ।
इक तू ही नहीं है “क़िस्मत में”...
“बाक़ी कमी” कुछ भी नहीं ।
- सदैव से आपका -
" अंकुर "
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Heart touching. Dost Ankur Navy ka naya SITARA.
ReplyDeleteHmm not bad
ReplyDeleteHello bhaiya pahchana aapne mujhe
ReplyDeleteअंकुर जी क्या आप फेसबुक पर है ? https://www.facebook.com/naveenmjz?__tn__=%2CdC-R-R-R&eid=ARAhJhC5iD3SIRweKTDkcCq4eBq_layinTj_0mfGan03V2-uU7r0DLQSiSFlv1GZCmM0nhDROP_JEMH4&hc_ref=ARTyzxueDholYG299KNMt-IdQEujvfo__IN_UCkWYph3UpkDVz-VDcOItER75j8wuls&fref=nf
ReplyDeleteAwesome man
ReplyDeleteWaah waah kya baat hein
ReplyDelete😎Mazza aagaya padhke